The smart Trick of Shodashi That Nobody is Discussing

Wiki Article



The day is observed with great reverence, as followers visit temples, give prayers, and be involved in communal worship situations like darshans and jagratas.

सर्वाशा-परि-पूरके परि-लसद्-देव्या पुरेश्या युतं

Whilst the precise intention or significance of the variation might vary based on individual or cultural interpretations, it may possibly generally be recognized being an extended invocation from the combined Vitality of Lalita Tripurasundari.

वन्दे तामहमक्षय्यां क्षकाराक्षररूपिणीम् ।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥८॥

ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह website दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।

काञ्चीपुरीश्वरीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥१०॥

यदक्षरमहासूत्रप्रोतमेतज्जगत्त्रयम् ।

या देवी हंसरूपा भवभयहरणं साधकानां विधत्ते

वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।

श्रौतस्मार्तक्रियाणामविकलफलदा भालनेत्रस्य दाराः ।

वाह्याद्याभिरुपाश्रितं च दशभिर्मुद्राभिरुद्भासितम् ।

तिथि — किसी भी मास की अष्टमी, पूर्णिमा और नवमी का दिवस भी इसके लिए श्रेष्ठ कहा गया है जो व्यक्ति इन दिनों में भी इस साधना को सम्पन्न नहीं कर सके, वह व्यक्ति किसी भी शुक्रवार को यह साधना सम्पन्न कर सकते है।

सर्वभूतमनोरम्यां सर्वभूतेषु संस्थिताम् ।

Report this wiki page